Monday 17 April 2017

किशनगंज के पिछड़ेपन के लिए क्या सिर्फ विधायकों दोषी ? क्या जनता जिम्मेवार नहीं?

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अस्वीकरण (Disclaimer) - ये लेखक के अपने विचार हैं जो जागरूकता फ़ैलाने के मक़सद से व्यक्त किये गए हैं ! अगर इस लेख से किसी की भावना आहत होती है तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ! 

अभी कुछ दिनों पहले हिंदी के एक दैनिक अख़बार के हवाले से खबर आई थी कि किशनगंज ज़िले के चार विधानसभा छेत्रों के विधायक वित्तीय वर्ष 2016 - 17 में मिले फंड का एक रुपया भी खर्च नहीं कर पाए ! रिपोर्ट चौंकाने वाली और किसी हद तक दुःखदायी भी थी और ज़िले के लोगों ने तरह - तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त किया ! सोशल मीडिया के शक्तिशाली और लोकप्रिय माध्यम फेसबुक (Facebook) एवं व्हाट्सएप  (WhatsApp) के ज़रिए  चार विधानसभा छेत्रों के विधायकों डॉ० जावेद आज़ाद (किशनगंज), श्री मुजाहिद आलम (कोचाधामन), श्री नौशाद आलम (ठाकुरगंज) और श्री तौसीफ आलम (बहादुरगंज) को लोगों ने खरी - खोटी सुनाई और अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की ! आखिरकार मैं भी किशनगंज का एक आम नागरिक हूँ इसलिए मुझे भी एक पल में नाराज़ होना स्वाभाविक था ! लेकिन जब मैंने अपने पत्रकार वाले नज़रिए से इस अहम् मुद्दे का आंकलन किया तो इस निष्कर्ष के पर पहुंचा कि  2016 - 17 वित्त वर्ष में मिली राशि का सही इस्तेमाल नहीं करने के पीछे साफ - साफ विधायकों की गैरज़िम्मेदारी दिखती है ! परन्तु चुने हुए राजनितिक प्रतिनिधियों (विधायकों) की गैरजिम्मेदारी वाले रवैये के पीछे कहीं - न - कहीं आम जनता भी बराबर की भागीदार हैं और नेताओं के कार्यशैली पर सही से विचार नहीं करते हैं ! अपने निजी स्वार्थ के लिए आप तरह - तरह से विधायक जी की सहायता लेना चाहते हैं और उम्मीद रखते हैं कि वे समुचित विकास भी करें ! आखिर विधायक जी भी एक इंसान ही हैं और दिन में 8 - 10 घंटे ही काम कर सकते हैं, लेकिन आप उनसे 24 x 7 काम करने की उम्मीद रखते हैं ! 



जी हाँ, मेरे ये विचार (निष्कर्ष) आपको अटपटे लग सकते हैं और आप मुझे भी भला - बुरा कह सकते हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है की आगे मेरे विचार पढ़कर शायद आपको आपका जवाब मिल जायेगा ! अगर आप सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं तो विधायकों या उनके कार्यक्रताओं द्वारा चलाए जा रहे फेसबुक या व्हाट्सएप ग्रुप पर ज़रा फुर्सत से नज़र दौड़ाइए ! अहले सुबह से लेकर देर रात तक नेताजी (विधायक जी) आम जनता के निजी कार्यक्रमों जैसे शादी - ब्याह, निक़ाह, खतना, अक़ीक़ा, जन्मदिन और मैय्यत में शिरकत करते हुए नज़र आएंगे ! इसके बाद स्कूल, हस्पताल, क्लिनिक, दुकान, मार्केट, घर आदि के उद्घाटन और फीता कटाई की रसम में भी विधायक जी की मौजूदगी की आप ख्वाहिश रखते हैं ! जलसा हो या मुशायरा या इज्तेमा वहां भी विधायक जी का इंतज़ार रहता है ! बात यहीं तक ख़तम नहीं होती, पति - पत्नी, भाई - भाई, भाई - बहन, बाप - बेटे, पडोसी - पडोसी, मोहल्ले, गाँव में रोज़ाना होने वाले झगड़ों, लड़ाई - मार के निबटारे के लिए भी नेताजी से उम्मीद रखी जाती है ! अगर बात हद से ज्यादा बढ़ गई तो थाना - पुलिस और कोर्ट - कचहरी में मामले को सुलझाने और अपने पक्ष में फैसले के लिए भी विधायक जी से संपर्क किया जाता है ! अगर किसी सरकारी ऑफिस में काम रुका हुआ है या अनुकंपा पर नौकरी नहीं मिल रही है तो भी विधायक जी के चक्कर लगाए जाते हैं ! अगर संक्षेप में एक वाकय में कहा जाए तो "विधायक जी हर मर्ज़ की दवा हैं" और आप अपने निजी स्वार्थ के लिए उनका तरह - तरह से उपयोग करना चाहते हैं ! यानी आपको लगता है कि विधायक जी एक फ़ोन कॉल पर सारे मामले हल हो जायेंगे ! भले ही वो कितना भी जटिल और क़ानूनी दावपेच वाला हो आप यह उम्मीद रखते हैं कि 100 प्रतिशत फैसला आपके हक़ में आए ! अगर नेताजी आपके निजी मामलों का ही हल करते रहेंगे तो फिर विकास योजनाओं के लिए वक्त कहाँ बचा उनके पास तो स्वाभाविक है सरकार से मिली राशि तो वापस जाएगी ही  ! 

एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आपको एक विधायक के कार्यछेत्र एवं चुनौतियों को समझना चाहिए ! अपने जिनको वोट देकर चुना है वो सिर्फ आपके अकेले विधायक नहीं है बल्कि 3 से 4 लाख की आबादी के चुने हुए राजनितिक प्रतिनिधि हैं और उन्हें सरकार से जारी योजनाओं को अपने छेत्र में लागु करना है ! अगर आप की तरह हर कोई उन्हें अपने निजी कार्यक्रमों में शामिल होने का न्यौता (दावत) देने लगेगा तो उनका सारा समय तो इन्हीं चीज़ों में चला जायेगा फिर वह अपने छेत्र के लिए कब काम करेंगे और सरकार की योजनाओं को कैसे लागु करवाएंगे ? होना तो यह चाहिए कि एक जिम्मेदार नागरिक की तरह आप केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ज़िले के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी रखें ! आप अपने हर तरह के निजी कार्यक्रमों में विधायक जी को कम बुलाएँ और उनसे अपने मोहल्ले, शहर, गांव से सम्बंधित परियोजनाओं की जानकारी लें और उन्हें फौरन अमल में लाने का आग्रह करें ! अगर आप एक जिम्मेदार नागरिक होने का फ़र्ज़ नहीं निभा रहें हैं तो विधायकों या चुने हुए प्रतिनिधियों को कोसना बेकार है ! वरना विधायक जी आपको खुश करने के लिए ऐसे ही पाँच सालों तक अपने निजी कार्यक्रमों (समारोह) की शोभा बढ़ाते रहेंगे और आप उन्हें सोशल मीडिया पर कोसने (बुरा - भला) कहते हुए हाथ मलते रह जायेंगे ! अंत में याद रखिए कि विधायक जी के हाज़िर नहीं होने पर भी आपके निजी समारोह जैसे शादी, उद्घाटन, आदि में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन अगर किसी परियोजना के मद में आई हुए राशि खर्च नहीं होती है तो आप अपने आपको और आने वाली पीढ़ियों के विकास के रास्ता रोक रहें है जो अनजाने में किया बहुत बड़ा गुनाह है ! 

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AboutMd Mudassir Alam

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1 comment:

  1. is post ko padne k baad bahut kuch sikhne ko mila ki logon ko chahiye ki apne partinidhi ko nizi kaam me istemaal nahi kare aur development k kaam ko karne ki koshosh karwayen.

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