Friday 16 March 2012

रेल बजट में सीमांचल की अनदेखी!

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 "ललितेन्द्र भारतीय की कलम से"


यूपीए-2 के शासनकाल में तीसरा और दिनेश त्रिवेदी का पहला रेल बजट संसद में पेश हुआ। पिछले एक दशक से यात्री किराए में किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं की गई थी, लेकिन त्रिवेदी के बजट में बड़े ही मधुर और सरल अंदाज में यात्री किराया बढ़ा दिया गया और इसका सीधा असर खुद मंत्री जी की कुर्सी पर ही पड़ता नजर आ रहा है। ममता बनर्जी ने बेबाक और तल्ख अंदाज में बजट पर नाराजगी जताते हुए मंत्री जी को हटाने के लिए प्रधानमंत्री को खत भी लिख डाला।



खैर ये तो रही सरकार की बात... यूपीए-2 के शासनकाल में मंत्रियों का रूठना, मनाना और फिर मलाईदार मंत्रालय लेकर मान जाना आम बात हो चली है। मेरा मकसद इस लेख के माध्यम से आपका ध्यान देश के उस अहम हिस्से की ओर आकृष्ट करना है जिसकी जाने-अनजाने पूरी तरह से अनदेखी की गई है। हम बात कर रहे हैं सीमांचल की... इस बार के रेल बजट में 75 नई एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही 21 नई पेसेंजर ट्रेनों का भी तोहफा दिया गया है। जबकि 39 ट्रेनों का रूट बढ़ाने और 23 गाड़ियों के फेरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ 09डीएमयू और 09ईएमयू का भी प्रस्ताव है।

रेल मंत्री की इन सारी सौगातों के बावजूद यदि विस्तार में जायें तो हम पायेंगे कि इसमें सीमांचल की किस प्रकार अनदेखी की गई है। मंत्री जी कोई भी नई ट्रेन या नए प्रस्ताव सीमांचल के लिए लेकर नहीं आए हैं। किशनगंज के वर्तमान कांग्रेसी सांसद मो.असरारुल हक ने व्यक्तिगत तौर पर रेल मंत्री जी से किशनगंज के लिए सिफारिश की थी। साथ ही पीएम को भी चिट्ठी लिखी थी, बावजूद इसके सीमांचल की तरफ मंत्री जी का ध्यान नहीं गया। आपको बता दें कि बिहार में कांग्रेस की हालत बेहद खराब है और किशनगंज ही एकमात्र ऐसा जिला है जहां से सांसद और दो विधायक कांग्रेसी हैं। ऐसे में सीमांचल की अनदेखी करना काफी अखरता है।

पश्चिम बंगाल से सटे होने के कारण एक नई प्रस्तावित ट्रेन हावड़ा न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस संयोगवश किशनगंज से होकर गुजरेगी, लेकिन उस ट्रेन के किशनगंज में ठहराव पर अभी अंदेशा बना हुआ है। अभी हाल ही में कटिहार-जोगबनी बड़ी लाइन की शुरूआत हुई है, जिस पर गिनी-चुनी ट्रेनों की आवाजाही हो रही है। ऐसे में वहां भी नई ट्रेन की आवश्यकता है। हालांकि छपरा और दरभंगा से दो ट्रेनें लखनऊ और अजमेर के लिए चलाए जाने का प्रस्ताव है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि जिस राज्य से रोजगार के लिए बड़ी संख्या लोगों की आवाजाही लुधियाना, दिल्ली, मुंबई और देश के कई अन्य शहरों में होती है, वहां के लिए नई ट्रेन की व्यवस्था नहीं करना ना सिर्फ सीमांचल के साथ, बल्कि पूरे बिहार के साथ यूपीए-2 के शासनकाल का सौतेला व्यवहार प्रतीत होता है।
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